यस आई एम—9[तृष्णा रीचड पुलीस स्टेशन]
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सुबह का समय था। अभय पुलिस स्टेशन में बैठा हुआ राहुल मेहरा केस की फाइल बना रहा था। तभी वहां पर एक लड़की अंदर आई। वह बड़े ही प्यार से बोली। "सर! आप से कुछ जरूरी काम है।" अभय ने आवाज सुनकर जैसे ही उस लड़की को देखा, वह उसे देखता ही रह गया। ना जाने उस लड़की में ऐसा क्या था जो अभय को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।
"एक्सक्यूज मी सर!" लड़की ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा। वह लड़की कोई और नही बल्कि तृष्णा थी। खुद को घूरता हुआ पाकर अभय बुरी तरह से झेंप गया।
"क्या काम था?" अभय ने गंभीर होते हुए पूछा।
"वो... वो मर्डर कैसे करते ये जानना था।" तृष्णा ने बड़ी ही मासुमियत के साथ पूछा।
यह सुन कर अभय उसे घूरते हुए बोला। "क्या.! तुम पुलीस स्टेशन में आकर पूछ रही हो कि मर्डर कैसे करते है?" उसने तिलमिलाते हुए कहा और मेज पर हाथ पटक कर खड़ा होने लगा। उसे खड़ा होता हुआ देख तृष्णा अभय को बैठने का इशारा करते हुए बोली। "बैठ जाइए सर! मै एक राइटर हूं और हाल फिलहाल एक मर्डर मिस्ट्री नॉवेल पर काम कर रही हूं। उसी के सिलसिले में आपसे से कुछ मर्डर और उनके तरीकों के बारे में जानना था। ताकि नॉवेल रियल लगे।"
"ओह! ऐसा क्या!" अभय ने उसे इस प्रकार देखते हुए कहा मानो वह आठवां अजूबा हो और फिर आगे बोला। "वैसे बहुत अच्छी बात है। आज के टाइम में भी कोई लिखने में इंटरेस्ट दिखाता है।"
"थैंक्यू! वैसे आज के टाइम में ज्यादा लिखा जाता है। तभी तो इतनी सारी मूवीज, वेबसरीज, सीरियल्स बनते है।" तृष्णा ने मासूमियत और गंभीरता के मिले जुले भाव के साथ बताया।
"आज से पहले कितने नॉवेल पब्लिश हो गए?" अभय ने एक भौह को चढ़ाते हुए पूछा।
"एक भी नही। वो क्या है की मैने हाल फिलहाल में ही लिखना शुरू किया है।" तृष्णा ने सपाट भाव से जवाब दिया।
"ओह!" अभय ने बड़े ही ठंडे लहजे से कहा और फिर आगे बोला। "वैसे किस टाइप के मर्डर के बारे में जानना है आपको?" अभय ने तृष्णा से प्रभावित होते हुए पूछा। ना जाने उसे उस पर शक क्यों नहीं हो रहा था। यह बात उसे भी अजीब लग रही थी।
"साइको किलर। जिनके मारने के तरीके में ही एक अलग सा पागल पन हो।" तृष्णा ने रहस्यमई तरीके से बताया।
"ठीक है। समझ गया मै।" इतना कहते ही अभय ने अपने हाथ में पकड़ी हुई फाइल तृष्णा को दे दी। "आप अभी इसे पढ़ लीजिए, बाकि मै तेज बहादुर से कह कर निकलवाता हूं।" तृष्णा ने अभय के हाथ से फाइल ली और उसे पढ़ने लगी। वही दूसरी ओर अभय ने तेज बहादुर को आवाज लगा कर अपने पास बुला लिया।
"जी सर! कहिए क्या काम था?" तेज बहादुर ने सलाम करते हुए पूछा।
"जितनी भी साइको किलर की फाइल्स है वो लाकर मुझे दे दो।" अभय ने आदेश देते हुए कहा जिसमें अपनापन भी था। तेज बहादुर आधे घंटे में ही सारी फाइल निकाल कर ले आया। फाइल्स अभय को देकर वह दोबारा अपना काम करने लगा। अभय तृष्णा की ओर फाइल बढ़ाते हुए बोला। "लीजिए! ये रही साइको किलर की फाइल।"
तृष्णा ने फाइल्स को बड़े ध्यान से देखा जो संख्या में पांच थी। वह अपने हाथ की फाइल आगे बढ़ाते हुए बोली। "लीजिए! ये मैने पूरी पढ़ ली।"
"इतनी जल्दी?" अभय ने आंखें फाड़ते हुए पूछा।
"जी!" कहकर तृष्णा ने अभय के हाथ से बाकि की फाइल्स ली और फिर आगे बोली। "क्या मै इन्हें अपने साथ घर ले जा सकती हूं?"
"नही!" अभय ने सपाट भाव से जवाब दिया। जिसे सुनकर तृष्णा का मूंह लटक गया। वह उसके बदलते हुए भाव को समझने की कोशिश करते हुए बोला। "यहां बैठ कर आराम से पढ़ सकती हो!"
"ठीक है!" तृष्णा ने मुस्कुराते हुए कहा।
"आप वहां बैठ कर पढ़ लीजिए।" अभय ने कुछ ही दूरी पर बनी हुई डेस्क की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तृष्णा अपनी जगह से खड़ी हो कर डेस्क पर जाकर बैठ गई और केस फाईल्स पढ़ने लगी। अभय भी अपने काम में बिजी हो गया। पर वह रह रह कर चोर निगाहों से तृष्णा को देख रहा था। जिसे देखकर उसे किसी की याद आ रही थी। वह खुद से ही बढ़बढ़ाते हुए बोला। "अगर ये ब्लैक हार्ट होती तो मुझे पहचान जाती। पर इसके हाव भाव को देखकर तो ऐसा लग रहा है जैसे हम पहली बार मिले हो। वैसे ब्लैक हार्ट एक नम्बर की मूडी ही थी। मन ना होने पर ऐसे रिएक्ट करती थी जैसे उसने सामने वाले को कभी देखा ही ना हो।" कहकर वह अपनी पुरानी यादों में खो गया।
रात का समय था। सुनसान रास्ते पर अभय अपनी जीप दौड़ाए हुए कही जा रहा था। तभी ना जाने कहां से जीप के सामने एक काला साया प्रकट हुआ। जिसकी वजह से अभय को हाई ब्रेक लगाने पड़े। उसका मुंह जीप के स्टेरिंग से लगने से बाल बाल बच पाया। जब उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा तो वहां पर कोई भी नही था। वह कुछ समझ पाता उस से पहले ही जंगल के अंदर से भागते हुए एक लड़की जीप के सामने आकर खड़ी हो गई। उसका मुंह मास्क और सिर हुड्डी से ढका हुआ था। जिस वजह से अभय उसका चेहरा भी नही देख पाया।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से अभय की आंखें आश्चर्य से फैल गई। सामने खड़ी हुई लड़की अपने हाथों को हवा में गोल गोल घुमाने लगी। कुछ देर घुमाने के बाद उसके हाथ में एक चमकती हुई अंगूठी दिखाई दी। उसे वह अपनी मुट्ठी में बंद कर कुछ मंत्र बुदबुदाने लगी। अभय बुत की तरह उसे ही देखता रहा।
अचानक हुई जोर दार चीख की वजह वह वास्तविकता में आ गया। थोड़ी देर पहले जो साया उसे जाता हुआ दिखाई दे रहा था, वह साया धुएं का रूप लिए हुए उस लड़की के पास खुद ब खुद खींचा हुआ चला आ रहा था। अभय कुछ समझ पाता उस से पहले ही वह साया बड़ी ही तेजी से उस अंगूठी के अंदर समा गया।
कुछ देर पहले अभय के सामने जो कुछ घटित हुआ था, वह उसने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार देखा था। खुद पर काबू पाकर जैसे ही वह लड़की के पास जाने की लिए नीचे उतरने लगा वैसे ही वह लड़की बड़ी फुर्ती के साथ वहां से चली गई और जंगल के दूसरे सिरे पर जाकर कही गायब हो गई। अभय उस दिशा में देखने के अलावा कुछ ओर ना कर सका। थोड़ी देर वह उसी दिशा में देखता रहा और फिर वहां से चला गया।
"एक्सक्यूज मी सर!" तृष्णा ने चिल्लाते हुए कहा। जिसे सुनकर अभय वास्तविकता में आ गया। उसने आस पास देखा और ठगा सा रह गया क्योंकि तृष्णा उसे ही घूर रही थी। अभय को कुछ ना बोलता हुआ देख। तृष्णा बड़े ही ठंडे लहजे में बोली। "मैने सारे केसेज की अच्छे से स्टडी कर ली है।" कहते ही तृष्णा ने सारी फाइल्स अभय के सामने मेज पर रख दी।
"ब...बड़ी जल्दी।" अभय ने खुद को संयमित करते हुए कहा और फिर आगे बोला। "वैसे इन केस को पढ़कर आपको क्या पता चला?"
"वो आप नॉवेल आने पर पढ़ लीजिएगा।" तृष्णा ने सपाट सा जवाब दिया। जिसे सुनकर अभय ने हां में गर्दन हिला दी।
"अब मै चलती हूं।" इतना कहते ही तृष्णा वहां से चल दी। वह वहां से जा पाती उस से पहले ही अभय बोल पड़ा। "वैसे आपका क्या नाम है?"
"तृष्णा!" तृष्णा ने रुकते हुए जवाब दिया और फिर अभय की यूनिफॉर्म पर लगे हुए नाम को पढ़ने लगी। "अभय... इंस्पेक्टर अभय रावत।"
"आपने मेरा नाम नही पूछा।" अभय ने झेंपते हुए कहा।
"जरूरत ही क्या है? वैसे भी बैच पर लिखा तो हुआ है।" तृष्णा ने तपाक से जवाब दिया। जिसे सुनकर अभय की बोलती बंद हो गई। वह आगे कुछ कह पाता उस से पहले ही तृष्णा वहां से चली गई। वह जाती हुई तृष्णा को बस देखता ही रह गया।
पुलीस स्टेशन से आने के बाद तृष्णा सीधे अपने कमरे में चली गई और फ्रेश होने के बाद अपना लैपटॉप लेकर बैठ गई। वह कुछ सोचते हुए बोली। "फाइनली क्या लिखना है! इसका आइडिया तो मिल गया। आगे क्या लिखना है वो भी देखा जाएगा।"
थोड़ी देर सोचने के बाद उसने ड्रॉफ्ट में कहानी का प्लॉट लिखा और फिर लिखने बैठ गई।
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जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है, बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️
hema mohril
25-Sep-2023 03:24 PM
Fantastic
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Barsha🖤👑
01-Feb-2022 09:12 PM
Well part
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Shalu
07-Jan-2022 02:02 PM
Very good
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